मंगलवार को अमावस्या के योग में व्रत एवं पूजा से दूर होते हैं मंगल और पितृदोष

ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार मंगलवार को जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में या एक-दूसरे के पास वाली राशि में स्थित होते हैं तो भौमावस्या का योग बनता है। इस बार ये योग 24 मार्च को बन रहा है। इस दिन मंगल भी अपनी उच्च राशि में स्थित रहेगा। जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। मंगलवार को पड़ने वाली इस अमावस्या पर पितरों की विशेष पूजा की जाए परिवार के रोग, शोक और दोष खत्म हो जाते हैं। मंगलवार को अमावस्या होने से इस दिन मंगल दोष से बचने के लिए व्रत और पूजा की जाती है।



भौमावस्या योग में दान और स्नान का विशेष महत्व



  • भौमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान करने का विशेष महत्व बताया है। इस दिन दान करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। देव ऋषि व्यास के अनुसार इस तिथि में स्नान और दान करने से हजार गायों के दान का पुण्य फल मिलता है। भौमवती अमावस्या पर हरिद्वार, काशी जैसे तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है, लेकिन महामारी या देश-काल और परिस्थितियों के अनुसार इस दिन घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से भी इसका पुण्य प्राप्त होता है।

  • इस दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में डूबकी लगाने का भी बहुत अधिक पुण्य माना गया है। इस स्थान पर भौमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से लेकर दोपहर करीब 2.50 तक की अवधि में अमावस्या तिथि के दौरान स्नान और दान करने का खास महत्व है।  



भौमावस्या का महत्व
ऎसा योग बनने पर अमावस्या के पर तीर्थस्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से  कर्ज और पापों से मिली पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है। इसलिए यह संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। पुराणों में अमावस्या को कुछ विशेष व्रतों के विधान है जिससे तन, मन और धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

अमावस्या के साथ बनने वाले अन्य योग-संयोग
जब अमावस्या के दिन सोम, मंगल या गुरुवार के साथ अनुराधा, विशाखा और स्वाति नक्षत्र का योग बनता है, तो यह बहुत ही शुभ संयोग माना गया है। इसी तरह शनिवार और चतुर्दशी का योग भी विशेष फल देने वाला माना जाता है। इन तिथि वार और नक्षत्रों के संयोग में किए गए कामों में विशेषतौर से सफलता प्राप्त होती है।